नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे से ठीक पहले यूनाइटेड स्टेट (यूएस) की एजेंसी ने 19 फरवरी को एक रिपोर्ट जारी की है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर नजर रखने वाली एजेंसी यूएससीआईआरएफ द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में धार्मिक उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) को लेकर चिंता जताई गई है। एजेंसी ने 2019 के इस वार्षिक रिपोर्ट में भारत को टियर-2 की श्रेणी में रखा है।

बता दें, यूएससीआईआरएफ एक अमेरिका की एजेंसी है जो दुनिया भर में धार्मिक मसलों पर रिपोर्ट तैयार कर सीधा अमेरिकी राष्ट्रपति, अमेरिकी संसद और अमेरिकी सीनेट को अपनी रिपोर्ट देती है।

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2018 के बाद से भारत में धार्मिक उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सीएए लागू किए जाने के बाद भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी में गिरावट आई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ राज्यों में धार्मिक स्वतंत्रता से बिगड़ती परिस्थितियों को उजागर किया गया लेकिन राज्यों की सरकार इन्हें रोकने का प्रयास नहीं कर रही हैं।

इसके अलावा रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों का हिंदू चरमपंथी के संगठनों से संबंध रहा, जिन नेताओं ने जनता के बीच भड़काऊ भाषा का प्रयोग किया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात करें तो उन्होंने भी सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान देशभर में भड़की हिंसा को कम करने वाले बयान नहीं दिए।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएए के पारित होने के तुरंत बाद भारत भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक हिंसक कार्रवाई की। रिपोर्ट के मुताबिक प्रस्तावित राष्ट्र-व्यापी नेशनल पॉपुलेश्न रजिस्टर (एनपीआर) के साथ, ऐसी आशंकाएं हैं कि यह कानून भारतीय नागरिकता के लिए एक धार्मिक परीक्षण बनाने के प्रयास का हिस्सा है और इससे भारतीय मुसलमानों का व्यापक विघटन हो सकता है।