लखनऊ: उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू आज किसानों की प्रमुख समस्याओं को विधानसभा में सिलसिलेवार उठाकर उनकी परेशानियों से सम्बन्धित सवालों पर सरकार को मजबूती से घेरते हुए पूछा कि क्या सरकार अवारा पशुओं से किसानों की फसल बचाने के लिए कोई समुचित प्रबन्ध करेगी? क्या सरकार किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए किसान आयोग का गठन करेगी? जो किसान अपने खेतों की पहरेदारी कर रहे हैं तथा चैकीदार ने इन लोगों को पहरेदार बना दिया है क्या सरकार उन किसानों को पहरेदारी भत्ता देने की व्यवस्था सुनिश्चित करेगी? जिन किसानों की विगत तीन सालों में फसल बर्बाद हुई है क्या सरकार उन किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था करेगी? उन्होने कहा कि 44 जिलों में घूमकर किसानों की समस्या सुनने के बाद वे सरकार को बताना चाहते हैं कि उ0प्र0 का किसान पूरी तरह से हताश और निराश है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने विधानसभा में किसानों की वास्तविक स्थिति पर सरकार को झकझोरते हुए कहा कि उ0प्र0 में कृषि आधारित जनसंख्या 16.9प्रतिशत है जिसमें 2017 में 3.9 प्रतिशत मामले आत्महत्या के दर्ज हुए थे। एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार 2017 के मुकाबले 2018 में अवारा पशुओं एवं ओला वृष्टि से हुए नुकसान के दुष्परिणाम स्वरूप किसानों की आत्महत्या में 3.6प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है। उन्होने कहा कि अवारा पशु आज किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है किन्तु सरकार इसके प्रति गंभीर नहीं है। यह सरकार जब चुनाव लड़ रही थी तब स्वयं को चैकीदार कह रही थी किन्तु अब किसानों को ही अपने फसलों की रक्षा के लिए पहरेदार बना दिया है। उन्होने आगरा के बाह तहसील के किसान राकेश कुशवाहा की आत्महत्या का जिक्र करते हुए कहा कि राकेश कुशवाहा ने ग्यारह बीघे आलू बोया था जिसे अवारा पशुओं ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया था, जिसके चलते राकेश कुशवाहा ने आत्महत्या कर ली। किन्तु सरकार कह रही है कि किसान अवारा पशुओं से परेशान नहीं है और इसकी वजह से आत्महत्या भी नहीं कर रही है। उल्टे सरकार का किसानों की इस गंभीर समस्या का विधानसभा में मजाक उड़ाना और यह कहना कि जिस खेत में अवारा पशु आ जाते हैं उसकी पैदावार दो गुनी हो जाती है, यह किसानों के जले पर नमक छिड़कने जैसा है। सरकार किसानों की आत्महत्या पर सदन में गोल-मोल जवाब देकर अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहती है। किसानों की आत्महत्या पर जवाब न देकर कृषि उपज का ब्यौरा देना तथा राकेश कुशवाहा की आत्महत्या को फसलों के नुकसान से भिन्न मानना सरकार का शर्मनाक रवैया दर्शाता है। सरकार द्वारा गोवंश के संरक्षण हेतु समुचित बजट दिये जाने की बात भी पूरी तरह झूठ का पुलिन्दा है जबकि ज्यादातर जनपदों में चारे की कमी और उनकी सुरक्षा के समुचित प्रबन्ध न होने से मौतें हो रही हैं और सरकार द्वारा इसे नकारना उनकी गोवंश संरक्षण के प्रति झूठे और खोखले दावे की पोल खोलती है।

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार का यह जवाब कि किसान अवारा पशुओं से परेशान नहीं है इससे फसलों को कोई नुकसान नहीं हो रहा है तथा कोई किसान आत्महत्या भी नहीं कर रहा है यह सरकार का बेहद गैर जिम्मेदाराना जवाब है। उन्होने कहा कि किसानों से जुड़े इस ज्वलन्त मुद्दे पर सरकार द्वारा मजाक उड़ाया जाना सरकार के अहंकार का प्रतीक है लेकिन इस सरकार में प्रदेश का किसान जितना दुःखी है आने वाले दिनों में यही किसान सरकार को हंसते-हंसते सत्ता से बाहर कर देगा।