नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश काँग्रेस विधान परिषद् दल के नेता दीपक सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2017 से मनरेगा के तहत् कार्य करने वाले ग्राम रोजगार सेवकों की रकम का भुगतान न तो वित्तीय वर्ष-2017-18 में हुआ न तो 2018-19 में हुआ। सरकार द्वारा पास किये गये अनुपूरक बजट के पहले ग्राम्य विकास आयुक्त ने प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास विभाग के माध्यम से वित्त विभाग को उक्त भुगतान हेतु 170 करोड़ रूपये की माँग का प्रस्ताव भेजा गया था। परन्तु दूसरे अनुपूरक बजट में ग्राम्य विकास विभाग को एक रूपया भी आवंटित नहीं किया गया।

बीते दो सालों से मानदेय के लिए तरस रहे ग्राम रोजगार सेवकों में से कई अब बेरोजगार भी हो रहे हैं। वजह है कि सरकार कुछ ने ग्राम पंचायतों को नगर पंचायतों में बदल दिया है, गाँवों के शहरी निकाय में आ जाने से दो हजार से अधिक रोजगार सेवक बेरोजगार हो जायेंगे, क्योंकि शहरी निकायों में उक्त पद की कोई व्यवस्था नहीं है।

इसके अलावा 60,000 मनरेगा मजदूरों के जाॅब कार्ड खत्म होने से उन्हे बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा अप्रैल, 2015 के बाद से ग्राम रोजगार सेवकों का इ0पी0एफ0 भी काटे जाने की व्यवस्था थी, जो आज तक लागू नहीं हुई। तथा ग्राम पंचायतों के नगरीय क्षेत्रों में परिवर्तित होने से रोजगार सेवकों और मनरेगा मजदूरों में उनका रोजगार छिन जाने से प्रदेश की बेरोजगारी दर में इजाफा हो रहा है ।

दीपक सिंह ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में किसानों का हाल बद से बद्तर है जहाँ एक ओर किसानों को उनकी लागत मूल्य नहीं मिल पा रही है। वहीं जिन धान किसानों ने व गन्ना किसानों ने अपनी उपज बेचा है, उनको उनके उपज का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

सरकार अपने भाषणों में किसानों के हित के बड़े-बड़े वादे करती है, किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है लेकिन किसानों की आय घट गई है एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट इन्क्रीस्ड फ्राॅम 5.6 प्रतिशत, 2015-16, 7.8 प्रतिशत, 2017-18 डिक्लाइन 3.5 प्रतिशत 2018-19 है।

दीपक सिंह ने कहा कि प्रयागराज के म्योररोड राजापुर में प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा सैकड़ों गरीब-दलित-कमजोर वर्ग के लोगों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013 तथा संविधान के अनुच्छेद-300ए का उल्लंघन करके बिना मुआवजा पुनर्वास के उजाड़ने के सम्बन्ध में है।

प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा प्रयागराज में कुंभ मेला-2020 के दौरान हजारों गरीब, मध्यम व कमजोर दलित लोगों के मकान व दुकान को बिना मुआवजा दिये व पुनर्वासन किये बलपूर्वक, विधि के विरूद्ध व अमानवीय ढंग से उजाड़ दिया गया तथा अब राजापुर (म्योर रोड) में सैकड़ों इसी प्रकार के लोगों के घरों में भी लाल निशान लगा दिया गया है। विकास प्राधिकरण जिला-पुलिस प्रशासन तथा नगर निगम के लोग इन लोगों को धमका रहे हैं कि अपने भवनों को स्वयं गिरा लो वर्ना बुल्डोजर से धराशायी करके बेदखल कर दिया जायेगा यह क्षेत्र अंग्रेजों के जमाने से बसा है और देहमाफी (फ्री होल्ड) भूमि है। आवासीय योजना में यह बहुत दिनों से निर्मित क्षेत्र में है।

इसके उत्तरी भाग में बहुत भारी ढलान है। मास्टर प्लान 2021 में सड़क को यथावत् रखा गया है। यहाँ के लोग इस बर्बरता और गैर कानूनी कार्यवाही से भयभीत एवं अपने जीवन के भविष्य के प्रति बहुत ही आशंकित हैं। इस क्षेत्र के दलित गरीब, मध्यम व कमजोर वर्ग के लोगों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013, संविधान के अनुच्छेद-300ए, माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा मा0 उच्च न्यायालयों के निर्णयों का उल्लंघन तथा उ0प्र0 शहरी आवास एवं नियोजन विभाग के प्राविधानों के खिलाफ उजाड़े जाने की जाँच कराकर, बर्बरतापूर्ण कार्यवाही रूकवाने तथा सदन के माध्यम से शासन का ध्यान आकर्षित करते हुए कार्यवाही किये जाने की माँग करता हूँ।