देहरादून की रहने वाली, अनुश्री पैन्यूली एक एक्टर एवं हीलर हैं जिन्होंने अपनी पहली किताब, 'सनराइज बियॉन्ड द डेड एंड' को लॉन्च किया है। इस किताब में आज के बदलते दौर की प्रमुख मानसिक समस्याओं- यानी कि डिप्रेशन एवं अकेलापन पर प्रकाश डाला गया है। इसकी कहानी बेहद प्रेरणादायक है, जिसमें बताया गया है कि इंसान किस तरह अपनी ज़िंदगी के अंधकार भरे एवं मुश्किल वक्त का सामना कर सकता है, अपने ज़ख्मों को गले लगा सकता है, और अपनी ज़िंदगी के दुखों से मिलने वाली ताकत के सहारे आगे बढ़ सकता है।

इस किताब में एक आम आदमी के जीवन को प्रस्तुत किया गया है, जो अपने जीवन में अचानक आए नकारात्मक मोड़ के बाद अपनी ज़िंदगी के सफ़र पर निकल पड़ता है। बिना योजना के अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ते हुए वह पांच अलग-अलग लोगों से मिलता है, जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं और उसकी सोच को बदल देते हैं। जब अनुश्री से पूछा गया कि उन्हें अपनी किताब के लिए किस तरह का शोध करना पड़ा, तब उन्होंने बताया कि, "मेरी इस किताब के सभी छह मुख्य किरदार असल ज़िंदगी के लोगों से प्रेरित हैं, जिनका जिनसे मैं कभी न कभी, कहीं न कहीं जरूर मिली हूँ। यहां तक कि छोटे-छोटे किरदार, जैसे कि घाट पर मौजूद वह अजीब व्यक्ति जो महज कुछ पैराग्राफ में दिखाई देता है, भी असल ज़िंदगी से प्रेरित है। इसलिए, मैं मानती हूँ कि अपनी कहानी के किरदारों पर ग़ौर करना और अच्छी तरह विचार करना ही सही मायने में शोध करना है।

एक लेखक की बेटी होने के नाते, अनुश्री ने बहुत ही कम उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया, क्योंकि लेखन के प्रति उनका लगाव स्वाभाविक था। हालांकि 'सनराइज बियॉन्ड द डेड एंड' के प्रकाशन के साथ एक लेखक के तौर पर उनकी यात्रा शुरू हुई। अनुश्री को घूमना-फिरना बेहद पसंद है, और यात्रा के प्रति के जुनून की वजह से उन्हें अलग-अलग स्थान के लोगों, धर्मों, आस्थाओं और संस्कृतियों को बारीकी से देखने तथा समझने का मौका मिला है। इस तरह की नई-नई चीजों का सामना करने से एक लेखक के तौर पर उनके विचारों को प्रोत्साहन मिला। अनुश्री एक स्पिरिचुअल हीलर भी हैं, जो मानती हैं कि सकारात्मक विचारों एवं सही शब्दों के मिलन से उत्पन्न होने वाली शक्ति इंसान की ज़िंदगी को बदल सकती हैं, और यह बात उनकी किताब में स्पष्ट तौर पर नज़र आती है।