"एक्सक्यूज़ मी डियर पितृसत्ता" के दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन
लखनऊ: दस्तक, ऑक्सफैम इंडिया और समता नेटवर्क के सयुंक्त आयोजन में महिला दिवस पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय कला स्रोत में हुआ था।

इस कार्यक्रम में जहां महिलाओं के नाम पर दी जाने वाली गालियों के विरुद् युवाओं ने अभियान को शुरू किया, वहीं स्त्री मुद्दों पर आधारित कविताओं और फोटोज की प्रदर्शनी लगाई गई थी जिसमें संगीता जायसवाल, अर्शी अल्वी,मालविका हरिओम, रानू उनियाल,प्रीति चौधरी, शालिनी, सीमा, मनीषा चौधरी, सुमैय्या ,गीतांजली आदि की कविताये युवाओं और बुद्धिजीवियों द्वारा बहुत सराही गयीं।

इन कविताओं में स्त्री के अकेलेपन, उसकी पीड़ा, काम का बोझ, उसके चयन के अधिकार, प्रेम और राजनीति में उसके दखल के विषय को बेहद रोचक और दार्शनिक अंदाज़ में उभारा गया था, जिसे पढ़ते हुये कई लोगों की आंखें नम हो गईं।

कार्यक्रम में "चयन के अधिकार" पर हुई बात चीत में कला स्रोत की मानसी डिडवानिया, रेडियो जॉकी पारुल शर्मा, रश्मि शुक्ला, दीप्ति ग्रोवर, अनिता मिश्रा, रोहिणी सिंह , करियर डिग्री कालेज की प्रिंसिपल मेहनाज़, GDS के पदाधिकारी अमिताभ मिश्र, मस्तो, बुशरा , निर्देशक सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, रंगकर्मी मृदुला भारद्वाज, शिक्षा विद सरिता जायसवाल, आयुष आदि ने अपनी बात रखते हुये संकल्प लिया कि पितृसत्ता का मसला स्त्री पुरुष का झगड़ा नहीं बल्कि उस सोच से टकराना है जो गैरबराबरी पर आधारित है और इससे स्त्री पुरुष दोनों ही प्रभावित हैं अतः दोनों को मिलकर ही बेहतर दुनिया बनानी होगी।

अंत मे शिवालिका के संचालन में दस्तक की उपासना और ऑक्सफैम इंडिया की मेघना चटर्जी ने सबको धन्यवाद देते हुये युवाओं को इस मुद्दे पर कार्य करने के सम्मान में प्रमाणपत्र वितरित किये।