भोपालः मध्यप्रदेश की राजनीति में जारी उठापटक रोज नए मोड़ ले रही है। अब सभी की निगाहें 22 बागी विधायकों पर टिकी हैं। बेंगलुरु में ठहरे सभी बागी विधायकों को मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने नोटिस जारी किया है। विधायकों को जारी नोटिस में उन्हें 15 मार्च तक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। विधानसभा अध्यक्ष प्रजापति ने सभी 22 विधायकों को तीन अलग-अलग तारीखों में बुलाया था। अब ये विधायक 15 मार्च को शाम 5 बजे तक पेश हो सकते हैं। अगर सभी विधायक विधानसभा अध्यक्ष के सामने उपस्थित नहीं हुए तो सरकार फ्लोर टेस्ट टाल सकती है। बागी विधायकों के उपस्थित नहीं होने पर मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में पार्टी के 22 बागी विधायकों में से 13 ने आश्वासन दिया है कि ‘‘वे कांग्रेस छोड़कर नहीं जा रहे हैं।’’ साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार विश्वास मत जीत लेगी। सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम यह अंदाजा नहीं लगा सके कि सिंधिया पार्टी छोड़ देंगे और यह एक भूल थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चुपचाप नहीं बैठे हैं। हम सो नहीं रहे हैं।’’ इससे एक दिन पहले राज्य से कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी और फिर 22 विधायकों ने विधानसभा से अपना इस्तीफा दे दिया।

सिंह ने कहा कि सिंधिया राज्यसभा के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी हो सकते थे लेकिन अति महत्वाकांक्षी नेता को मंत्री पद ‘‘केवल मोदी-शाह’’ ही दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि सिंधिया को मध्य प्रदेश में उपमुख्यमंत्री के पद की पेशकश की गई लेकिन वह अपने नामित व्यक्ति को इस पद पर चाहते थे। हालांकि, कमलनाथ ने ‘‘चेला’’ स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराने में शिवराज सिंह चौहान के विफल होने के बाद भाजपा ने सिंधिया को ऐसा करने के लिए तैयार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि विधायकों को मोटी रकम की पेशकश की गई।